कर्नाटक में भाजपा को मिली खोई हुई ताकत! सिद्धरमैया के खिलाफ पदयात्रा दिखा रही सियासी कमाल

 कर्नाटक में एसटी फंड में घोटाले की स्वीकारोक्ति और जमीन आवंटन में घोटाले के आरोपों को लेकर घिरी कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदेश भाजपा के नेतृत्व में चली संयुक्त विपक्ष की एक सप्ताह की पत्रयात्रा समाप्त हो गई। इससे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के भविष्य पर कितना असर पड़ेगा यह तो समय बताएगा लेकिन भाजपा ने वह सब पा लिया है जिसकी वर्षों से तलाश थी।

सही साबित हुआ फैसला

प्रदेश में सत्ता में रहते हुए भी गुटों में बंटी रहने वाली भाजपा पहली बार एकजुट दिखी है। मैसूर क्षेत्र में परंपरागत रूप से कमजोर रहने वाली भाजपा को इस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को खड़ा करने का बल मिल गया है। केंद्र के राजग सरकार में मंत्री जेडीएस के कुमारास्वामी की मौजूदगी से एकजुटता के संदेश तो गया ही, केंद्रीय नेतृत्व का वह फैसला भी सही साबित हो गया जिसके तहत अपेक्षाकृत युवा नेता बीवाई विजयेंद्र को कमान सौंपी गई थी।

बड़ा हो गया भ्रष्टाचार का मुद्दा

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार का यह मामला इसलिए बड़ा हो गया था क्योंकि खुद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में स्वीकार कर लिया था कि भ्रष्टाचार हुआ है। सरकार पर एसटी फंड में 187 करोड़ और जमीन आवंटन में पांच हजार करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगा था।

भाजपा ने शुरू की मैसूर चलो पदयात्रा

सिद्धरमैया ने विधानसभा में कहा था कि एसटी फंड में 187 नहीं बल्कि 89 करोड़ का घोटाला हुआ है। फिलहाल राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति का आवेदन है। इसे लेकर भी राजनीतिक तेज है। प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश भाजपा ने तीन अगस्त से 11 अगस्त तक ”मैसूर चलो पदयात्रा” शुरू की थी। इसका महत्व इसलिए था क्योंकि कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया इसी क्षेत्र से आते हैं।

कांग्रेस में बदलाव की संभावना तेज

सिद्धरमैया उसी पीढ़ी के बड़े नेताओं की कड़ी में अंतिम है जिसमें एचडी देवेगौड़ा और बीएस येद्दयुरप्पा को गिना जाता है। चूंकि भ्रष्टाचार का आरोप सीधे सिद्धरमैया पर लगा है इसलिए कांग्रेस के अंदर बदलाव की संभावना तेज हो गई है। खुद कांग्रेस के अंदर से दूसरा गुट इसकी प्रतीक्षा मे है।

विजयेंद्र ने बनाई थी पदयात्रा की योजना

कांग्रेस के पास जो संख्या बल है उसमें सरकार के लिए खतरा नहीं दिख रहा है लेकिन विपक्ष के तौर पर भाजपा को मजबूत होने का अवसर जरूर मिल गया है। इस यात्रा की योजना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र ने बनाई थी, लेकिन इसकी सफलता पर संशय बरकरार था क्योंकि शुरूआत में कुमारास्वामी ने इसमें शामिल होने से इन्कार कर दिया था।

मैसूर क्षेत्र में खड़ा होगा पार्टी का आधार

पार्टी के अंदर भी नेताओं के रुख को लेकर संदेह था, लेकिन जिस तरह कुल 140 किलोमीटर की पदयात्रा में भाजपा के सभी सांसद और विधायक के साथ साथ जेडीएस नेता चले उससे एक राजनीतिक माहौल तैयार हो गया है। विजयेंद्र तो अपने पिता और भाजपा के अब तक के सबसे मजबूत नेता येद्दयुरप्पा की छाया से बाहर आए ही, मैसूर क्षेत्र मे पार्टी को आधार खड़ा करने का अवसर मिल गया है।

सिद्धरमैया के गढ़ से निकली पदयात्रा

गौरतलब है कि भाजपा मैसूर को छोड़कर बाकी के क्षेत्रों में जीत हासिल करती रही है। इस दौरान पदयात्रा पूरे क्षेत्र के जिन जिन इलाकों से गुजरी वह सिद्धरमैया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और जेडीएस का गढ़ माना जाता है।

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